वैश्विक स्तर पर नई स्पेस रेस : चीन को टक्कर देने के लिए अमेरिका-फ्रांस ने मिलकर बढ़ाए जासूसी उपग्रह अभियान

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वॉशिंगटन। अमेरिका और फ्रांस अपने सहयोगी जासूसी उपग्रह अभियानों को और आगे बढ़ाते हुए जल्द ही दूसरी संयुक्त मिशन की योजना बना रहे हैं। यह पहल ऐसे समय में हो रही है जब चीन अंतरिक्ष में अपनी सैन्य मौजूदगी तेजी से बढ़ा रहा है और वैश्विक स्तर पर नई स्पेस रेस की स्थिति बन गई है।

अमेरिकी स्पेस कमांड के वरिष्ठ अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल डगलस शीश ने बताया कि फ्रांस के साथ यह होने वाला अभियान अमेरिका का किसी सहयोगी देश के साथ तीसरा संयुक्त अंतरिक्ष मिशन होगा। इससे पहले अमेरिका ने पिछले साल फ्रांस के साथ और इस माह ब्रिटेन के साथ कक्षा में संयुक्त ऑपरेशन किए थे।

अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए यह रणनीतिक रूप से अहम है, क्योंकि उपग्रह अब संचार, मिसाइल चेतावनी और युद्धक्षेत्र खुफिया जैसे अहम क्षेत्रों की रीढ़ बन चुके हैं। चीन, रूस और अमेरिका पहले ही उपग्रहों को निशाना बनाने की क्षमता दिखा चुके हैं। इस स्थिति में किसी संघर्ष के दौरान जीपीएस प्रणाली ठप करने या संचार चैनलों को बाधित करने का खतरा बना रहता है।

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पहला अमेरिका-फ्रांस ऑपरेशन एक “रेंडेज़वस और प्रॉक्सिमिटी ऑपरेशन” था, जिसमें दोनों देशों के सैन्य उपग्रह एक प्रतिद्वंद्वी राष्ट्र के उपग्रह के निकट पहुँचे थे। जबकि हालिया अमेरिका-यूके ऑपरेशन (4–12 सितम्बर) में अमेरिकी उपग्रह ने ब्रिटेन के SKYNET 5A संचार उपग्रह की कक्षा में स्थिति की पुष्टि की।

फ्रांस यूरोप में अंतरिक्ष पर सबसे अधिक खर्च करने वाला देश है और उसके सैन्य अधिकारी मानते हैं कि इस प्रकार के अभ्यास वास्तविक परिदृश्य के लिए आवश्यक तैयारी हैं। पश्चिमी देशों के सैन्य विशेषज्ञ लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि बढ़ते खतरों से न केवल सैन्य उपग्रह बल्कि व्यावसायिक उपग्रह नेटवर्क जैसे स्पेसएक्स का Starlink भी निशाने पर आ सकते हैं।

जनरल शीश ने संकेत दिया कि भविष्य में अमेरिका ऐसे और अभियानों के लिए अन्य सहयोगी देशों को भी शामिल कर सकता है।

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